तुम बताओ क्या करूँ कि तुम मांन जाओगे सर से पाँव तक रूसवा हु किसको बताओगे खाली बर्तन सी तकती हैं तुमको नम आँखे ये उधारी बाद में कैसे चुकाओगे अभी जिंदा सी लग रही हु सारे शहर को दिन औऱ गुजरे तो मातम मनाओगे बुझा बुझा सा गुजरता हैं दिन रातें बोझिल जिस्म लादे चलती हु बताओ कब आओगे ओढ़नी की फड़फड़ाहट अब नही संभलती मेने तूफ़ां रोका है क्या तुम रोक पाओगे ये रूह की तवियत दवा से कहा रुकती हैं सिलवटे छोड़ कर आयीं हु तुम पहचान जाओगें