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जिंदगी का कोई भरोसा नहीं जाने कब हो जाए इसका अंत।

जिंदगी का कोई भरोसा नहीं
जाने कब हो जाए इसका अंत।

हम सब मिलकर ले आनंद
और रहे भाई चारे के साथ।

जीवो पर दया करें और
मानवता का परिचय दे।

जात पात को छोड़कर
मानवता धारण करें।

बेटा बेटी का भेदभाव  मिटाएं
उनको साथ पढ़ने भेजें।

सबको रोटी कपड़ा मिले मकान
सभी मानवता धारण करें।

एक दूसरे को सहारा दे
उनको भी खुशहाल बनाएं।
उनको उनके हाल ना छोड़ो
उन्हें लेकर भी चलें साथ।
और मानवता का परिचय दें। मानवता धारण करें।
अशोक कुमार poet
जिंदगी का कोई भरोसा नहीं
जाने कब हो जाए इसका अंत।

हम सब मिलकर ले आनंद
और रहे भाई चारे के साथ।

जीवो पर दया करें और
मानवता का परिचय दे।

जात पात को छोड़कर
मानवता धारण करें।

बेटा बेटी का भेदभाव  मिटाएं
उनको साथ पढ़ने भेजें।

सबको रोटी कपड़ा मिले मकान
सभी मानवता धारण करें।

एक दूसरे को सहारा दे
उनको भी खुशहाल बनाएं।
उनको उनके हाल ना छोड़ो
उन्हें लेकर भी चलें साथ।
और मानवता का परिचय दें। मानवता धारण करें।
अशोक कुमार poet