क्या से क्या हो गया देखते-देखते, क्या था क्या हो गया देखते-देखते। जिसकी यादों में ये सुबह-शामें कटीं, जिसके रुख़ से न नज़रें कभी भी हटीं, जिसके रुख़ से उजाला था दिल में मेरे, ख़्वाब सा हो गया देखते-देखते। आरज़ू थी उसे मेरी कुछ वक़्त तक, हमसफ़र था मैं उसका किसी दश्त तक, मैं कभी उसके ख़्वाबों की ताबीर था, फिर बुरा हो गया देखते-देखते। रोज़ो-शब जिसको खोने से डरते रहे, जिसकी ख़ातिर जहां से झगड़ते रहे, छोड़कर हाथ राहें अलग उसने की, गुमशुदा हो गया देखते-देखते। साथ पाकर के उसका ये मसरुर था, दिले-नादान चाहत पे मग़रुर था, याद आये मुहब्बत की बातें वो जब, ग़मज़दा हो गया देखते-देखते। देखते-देखते क्या से क्या हो गया देखते देखते Collab करें YQ Bhaijan के साथ। #dekhtedekhte