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इन आंखों ने कई राज अलबेले देखे, कहीं खुशी तो कहीं

इन आंखों ने कई राज अलबेले देखे,
कहीं खुशी तो कहीं गम के मेले देखे।

कहीं किसी को ख़ुद ही ख़ुद में मदमस्त देखा,
तो किसी को हजारों के बीच अकेले देखा।

कहीं गरीबी से तंग आ मां बच्चों संग मरते देखा,
तो कहीं पैसे को पानी समझ मयखाने में बहाते देखा।

क्या बताएं ' मनीष ' इस जहां में हमनें क्या - क्या देखा,
एक मां को न्याय के लिए वर्षों न्यायलय में भटकते देखा।


 रुको ऊपर नीचे करने से पहले इस विषय को अवश्य पढ़े।🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳
ये क्या हो रहा है यार देश में,
जहां देश की 80% जनता आज भी  परेशान है, कहीं प्राकृतिक आपदा से तो कहीं बढ़ती मंहगाई से वहीं चंद गद्दार लोग मलाई छांट रहे है।
एक ग़रीब किसान खेती किसानी करते करते मर जाता है। लेकिन उस गरीबी से उभर नहीं पता। अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाता। जिन स्कूलों में शिक्षा के लिए सरकार करोड़ो रुपए खर्च करती है।
 क्या वो बच्चों को सही शिक्षा देते है । यदि अच्छी पढ़ाई होती है तो उन सरकारी विद्यालयों  एमपी, MLA, या कोई अधिकारी  अपने बच्चों को उन स्कूलों में पढ़ने क्यूं नहीं भेजते। ऐसा ही कुछ हाल सरकारी अस्पतालों का है।
तुम्हारे सस्ते डाटा(एमबी) से भला किस किसान का भला होगा। या किस बचे का भला हो यदि सस्ता करना  ही है तो किसानों की खाद सस्ती करो बच्चों की स्कूल की फीस और किताबें सस्ती करो। ये ही  दो वर्ग हैं जो किसी देश की रीढ़ की हड्डी हैं। मुझे नहीं लगता कोई सरकार इस क्षेत्रों में सही तरीके से काम करती है। यदि ये दो क्षेत्रों में सही तरीके से काम होगा तभी हमारे  देश का पुनरुथान होगा। और एक बात जो काला धन काला धन चिल्ला रहे थे क्या हुआ वो आ गया क्या? इस देश की पूंजी यदि किसी  अन्य देश में जमा करोगे तो किस हिन्दुस्तानी का भला होगा। अरे हिजड़ों राष्ट्र की चिंता करो और अपना पैसा अपने देश में इन्वेस्ट करो। आज ऎस बैंक, पंजाब, अन्य बैंक का जो हाल है आखिर क्यूं है, क्या वजह है, अरे पूंजीपतियों अपना पैसा अपने देश में इन्वेस्ट करो। आधी समस्या खुद - ब - खुद साल्व हो जाएगी।
जय मां भारती 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
इन आँखों ने
इन आंखों ने कई राज अलबेले देखे,
कहीं खुशी तो कहीं गम के मेले देखे।

कहीं किसी को ख़ुद ही ख़ुद में मदमस्त देखा,
तो किसी को हजारों के बीच अकेले देखा।

कहीं गरीबी से तंग आ मां बच्चों संग मरते देखा,
तो कहीं पैसे को पानी समझ मयखाने में बहाते देखा।

क्या बताएं ' मनीष ' इस जहां में हमनें क्या - क्या देखा,
एक मां को न्याय के लिए वर्षों न्यायलय में भटकते देखा।


 रुको ऊपर नीचे करने से पहले इस विषय को अवश्य पढ़े।🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳
ये क्या हो रहा है यार देश में,
जहां देश की 80% जनता आज भी  परेशान है, कहीं प्राकृतिक आपदा से तो कहीं बढ़ती मंहगाई से वहीं चंद गद्दार लोग मलाई छांट रहे है।
एक ग़रीब किसान खेती किसानी करते करते मर जाता है। लेकिन उस गरीबी से उभर नहीं पता। अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाता। जिन स्कूलों में शिक्षा के लिए सरकार करोड़ो रुपए खर्च करती है।
 क्या वो बच्चों को सही शिक्षा देते है । यदि अच्छी पढ़ाई होती है तो उन सरकारी विद्यालयों  एमपी, MLA, या कोई अधिकारी  अपने बच्चों को उन स्कूलों में पढ़ने क्यूं नहीं भेजते। ऐसा ही कुछ हाल सरकारी अस्पतालों का है।
तुम्हारे सस्ते डाटा(एमबी) से भला किस किसान का भला होगा। या किस बचे का भला हो यदि सस्ता करना  ही है तो किसानों की खाद सस्ती करो बच्चों की स्कूल की फीस और किताबें सस्ती करो। ये ही  दो वर्ग हैं जो किसी देश की रीढ़ की हड्डी हैं। मुझे नहीं लगता कोई सरकार इस क्षेत्रों में सही तरीके से काम करती है। यदि ये दो क्षेत्रों में सही तरीके से काम होगा तभी हमारे  देश का पुनरुथान होगा। और एक बात जो काला धन काला धन चिल्ला रहे थे क्या हुआ वो आ गया क्या? इस देश की पूंजी यदि किसी  अन्य देश में जमा करोगे तो किस हिन्दुस्तानी का भला होगा। अरे हिजड़ों राष्ट्र की चिंता करो और अपना पैसा अपने देश में इन्वेस्ट करो। आज ऎस बैंक, पंजाब, अन्य बैंक का जो हाल है आखिर क्यूं है, क्या वजह है, अरे पूंजीपतियों अपना पैसा अपने देश में इन्वेस्ट करो। आधी समस्या खुद - ब - खुद साल्व हो जाएगी।
जय मां भारती 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
इन आँखों ने