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"ऐसे क्यों देख रही हो?" (राज ने कहा) "बस यूँ ही।"

"ऐसे क्यों देख रही हो?" (राज ने कहा)
"बस यूँ ही।" (अभ्या बोली)
"ह्म्म्म फिर तो ज़रूर कोई बात है, बोलो बोलो।" (राज ने तकिये पर अपना सिर रखते हुए कहा)
"तुम्हारी खिड़की के बाहर अंधेरा है और मेरी खिड़की के बाहर उजाला।" (ये कहते हुए अभ्या के मुस्कुराते और हर वक़्त किसी मनमौजी पक्षी के जैसे चहकते चेहरे पर उदासी सी आ गयी।)
"अचानक से क्या हो गया।" (राज ने चिंता भरे लहज़े में कहा)
"कितना वक़्त हो गया हमें मिले, मुझे तुमसे मिलना है, अपनी आँखों से देखना है  तुम्हें, छूना है तुम्हें, तुम्हारी आवाज़ को अपने कानों से सुनना है तुम्हारे पास बैठकर।" (कहते कहते अभ्या की आँखें भर आईं)
"बस इतना ही? मेरी तो अच्छी-ख़ासी लिस्ट तैयार है।" (राज ने बड़ी सी मुस्कुराहट के साथ इतराते हुए कहा।)
"अच्छाआआ......लिस्ट...बताना ज़रा।" (अभ्या ने हल्का सा मुस्कुरा कर कहा।)
"जब हम मिलेंगे तो सबसे पहले सबसे ज़्यादा ज़रूरी काम करना है, तुम्हें कस के गले लगाना है" (राज ने कहा)
"आराम से ज़रा कहीं मेरी जान ना निकल जाए" (अभ्या ने कहा)
"अपनी जान कोई खुद लेता है क्या?" (राज बोला)
"अच्छा अगला काम।"( राज की बात सुनकर अभ्या ने प्यार से पूछा)
"फिर क्या kiss करना है अच्छा सा, I'm dying for it" (राज ने कहा)
"अच्छा अच्छा" (अभ्या ने व्यंग्य करते हुए कहा)
"क्या अच्छा अच्छा, मेरे लिए enargy booster है kiss।" (राज ने कहा)
"सही में?" (अभ्या ने छेड़ते हुए कहा)
"और क्या, तुम क्या जानो बेदर्दी बालमा।" (राज ने फ़िल्मी अंदाज़ में कहा)
"हाहाहाहाहा......तुम भी ना....पागल हो पूरे।" (अभ्या ने हँसते हुए कहा)
"दीवानों को ये दुनिया पागल ही समझती है मोहतरमा" (राज ने अभ्या को हँसने के लिए एक और मौका दिया। फिर कुछ देर बाद बोला) "वैसे पागल तो मैं हूँ....तुम्हारे लिए....अच्छा लगता है मुझे ये पागलपन"
"राज" (अभ्या मुस्कुराई और एक गहरी साँस लेकर प्यार से पुकारा)
"कहो प्रियतमा" (राज ने कहा)
"तुम हमेशा ऐसे ही रहोगे ना?...मेरे चेहरे पर झुर्रियाँ होंगी और मैं अच्छी नहीं दिखूँगी तब भी?" (अभ्या ने सवाल किया)
"हाँ और क्या, रहना ही पड़ेगा, बुढ़ापे में मुझे कोई दूसरी लड़की हाँ भी तो नहीं करेगी" (कहकर राज हँसने लगा)
"हम्म्म्म" (अभ्या ने कुछ नहीं कहा शायद ये वो ज़वाब नहीं था जो वो सुनना चाहती थी)
कुछ पल की खामोशी के बाद
"अच्छा सुनो....मुझे बदलने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी कभी क्योंकि तुमने मुझे वैसा स्वीकारा है जैसा मैं हूँ। और रही झुर्रियों की बात तो क्या तुम्हारा प्यार मेरे चेहरे की झुर्रियों की वजह से कम हो जाएगा?" (राज ने सवाल किया)
"कभी नहीं" (अभ्या की आँखों से आँसू का एक कतरा उसके गालों तक बह गया।)
"मिल गया ना जवाब" (राज ने मुस्कुराते हुए कहा।)
"मैं तुम्हें कभी खोना नहीं चाहती" (अभ्या ने आँखों से लगातार बहते आँसुओं को पोंछते हुए कहा।)
"मैं कभी खोऊँगा ही नहीं..... और ना तुम्हें खोने दूँगा, कस कर तुम्हारा हाथ थामे रखूँगा....बड़ी चिपकू चीज़ हूँ मैं" (राज के कहा तो दोनों खिलखिलाकर हँस पड़े।)
"और मुझे इस चिपकू पर बहुत सारा प्यार आ रहा है अभी" (अभ्या ने कहा।)
"हाँ तो प्यार भरी बातें करो ना फ़िर, ये क्या तुम बुढापे की बातें लेकर बैठ गयीं, उससे से पहले तो हमारी शादी होगी प्यारे प्यारे बच्चे होंगे....मैंने तो नाम भी सोच लिए हैं" (राज ने कहा)
"अरे वाह! शाबाश" (अभ्या ने कहा।)
"सुनो ना, जल्दी से आ जाओ ना....मैं तुम्हारी मौजूदगी को महसूस करना चाहता हूँ, तुम्हारे ये जो बाल चेहरे पर आ रहे हैं मुझे इन्हें तुम्हारे कानों के पीछे करना है, तुम्हारे साथ नदी के किनारे बैठ कर ग़ज़लें सुननी हैं, प्यार भरे गाने गाने हैं तुम्हारे साथ। तुम्हारे हाथों का खाना खाना है, खुले आसमान के नीचे बैठ कर तुम्हें तारों को निहारते हुए निहारना है मुझे, और ऐसी बहुत सारी चीजें करनी हैं, तो जल्दी आ जाओ।"

बस इसके बाद दोनों के होंठ ख़ामोश हो गए और नज़रों ने बातें करना शुरू कर दिया।

©अgni #lunar #अग्नि #आधी_रात_का_ख़याल #नोजोटो #हिंदी #दूरी #longdistancerelationship  #short_story #love
"ऐसे क्यों देख रही हो?" (राज ने कहा)
"बस यूँ ही।" (अभ्या बोली)
"ह्म्म्म फिर तो ज़रूर कोई बात है, बोलो बोलो।" (राज ने तकिये पर अपना सिर रखते हुए कहा)
"तुम्हारी खिड़की के बाहर अंधेरा है और मेरी खिड़की के बाहर उजाला।" (ये कहते हुए अभ्या के मुस्कुराते और हर वक़्त किसी मनमौजी पक्षी के जैसे चहकते चेहरे पर उदासी सी आ गयी।)
"अचानक से क्या हो गया।" (राज ने चिंता भरे लहज़े में कहा)
"कितना वक़्त हो गया हमें मिले, मुझे तुमसे मिलना है, अपनी आँखों से देखना है  तुम्हें, छूना है तुम्हें, तुम्हारी आवाज़ को अपने कानों से सुनना है तुम्हारे पास बैठकर।" (कहते कहते अभ्या की आँखें भर आईं)
"बस इतना ही? मेरी तो अच्छी-ख़ासी लिस्ट तैयार है।" (राज ने बड़ी सी मुस्कुराहट के साथ इतराते हुए कहा।)
"अच्छाआआ......लिस्ट...बताना ज़रा।" (अभ्या ने हल्का सा मुस्कुरा कर कहा।)
"जब हम मिलेंगे तो सबसे पहले सबसे ज़्यादा ज़रूरी काम करना है, तुम्हें कस के गले लगाना है" (राज ने कहा)
"आराम से ज़रा कहीं मेरी जान ना निकल जाए" (अभ्या ने कहा)
"अपनी जान कोई खुद लेता है क्या?" (राज बोला)
"अच्छा अगला काम।"( राज की बात सुनकर अभ्या ने प्यार से पूछा)
"फिर क्या kiss करना है अच्छा सा, I'm dying for it" (राज ने कहा)
"अच्छा अच्छा" (अभ्या ने व्यंग्य करते हुए कहा)
"क्या अच्छा अच्छा, मेरे लिए enargy booster है kiss।" (राज ने कहा)
"सही में?" (अभ्या ने छेड़ते हुए कहा)
"और क्या, तुम क्या जानो बेदर्दी बालमा।" (राज ने फ़िल्मी अंदाज़ में कहा)
"हाहाहाहाहा......तुम भी ना....पागल हो पूरे।" (अभ्या ने हँसते हुए कहा)
"दीवानों को ये दुनिया पागल ही समझती है मोहतरमा" (राज ने अभ्या को हँसने के लिए एक और मौका दिया। फिर कुछ देर बाद बोला) "वैसे पागल तो मैं हूँ....तुम्हारे लिए....अच्छा लगता है मुझे ये पागलपन"
"राज" (अभ्या मुस्कुराई और एक गहरी साँस लेकर प्यार से पुकारा)
"कहो प्रियतमा" (राज ने कहा)
"तुम हमेशा ऐसे ही रहोगे ना?...मेरे चेहरे पर झुर्रियाँ होंगी और मैं अच्छी नहीं दिखूँगी तब भी?" (अभ्या ने सवाल किया)
"हाँ और क्या, रहना ही पड़ेगा, बुढ़ापे में मुझे कोई दूसरी लड़की हाँ भी तो नहीं करेगी" (कहकर राज हँसने लगा)
"हम्म्म्म" (अभ्या ने कुछ नहीं कहा शायद ये वो ज़वाब नहीं था जो वो सुनना चाहती थी)
कुछ पल की खामोशी के बाद
"अच्छा सुनो....मुझे बदलने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी कभी क्योंकि तुमने मुझे वैसा स्वीकारा है जैसा मैं हूँ। और रही झुर्रियों की बात तो क्या तुम्हारा प्यार मेरे चेहरे की झुर्रियों की वजह से कम हो जाएगा?" (राज ने सवाल किया)
"कभी नहीं" (अभ्या की आँखों से आँसू का एक कतरा उसके गालों तक बह गया।)
"मिल गया ना जवाब" (राज ने मुस्कुराते हुए कहा।)
"मैं तुम्हें कभी खोना नहीं चाहती" (अभ्या ने आँखों से लगातार बहते आँसुओं को पोंछते हुए कहा।)
"मैं कभी खोऊँगा ही नहीं..... और ना तुम्हें खोने दूँगा, कस कर तुम्हारा हाथ थामे रखूँगा....बड़ी चिपकू चीज़ हूँ मैं" (राज के कहा तो दोनों खिलखिलाकर हँस पड़े।)
"और मुझे इस चिपकू पर बहुत सारा प्यार आ रहा है अभी" (अभ्या ने कहा।)
"हाँ तो प्यार भरी बातें करो ना फ़िर, ये क्या तुम बुढापे की बातें लेकर बैठ गयीं, उससे से पहले तो हमारी शादी होगी प्यारे प्यारे बच्चे होंगे....मैंने तो नाम भी सोच लिए हैं" (राज ने कहा)
"अरे वाह! शाबाश" (अभ्या ने कहा।)
"सुनो ना, जल्दी से आ जाओ ना....मैं तुम्हारी मौजूदगी को महसूस करना चाहता हूँ, तुम्हारे ये जो बाल चेहरे पर आ रहे हैं मुझे इन्हें तुम्हारे कानों के पीछे करना है, तुम्हारे साथ नदी के किनारे बैठ कर ग़ज़लें सुननी हैं, प्यार भरे गाने गाने हैं तुम्हारे साथ। तुम्हारे हाथों का खाना खाना है, खुले आसमान के नीचे बैठ कर तुम्हें तारों को निहारते हुए निहारना है मुझे, और ऐसी बहुत सारी चीजें करनी हैं, तो जल्दी आ जाओ।"

बस इसके बाद दोनों के होंठ ख़ामोश हो गए और नज़रों ने बातें करना शुरू कर दिया।

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