ख़ुदा अच्छे बने रहना मुझे बचपन से कुछ फरिश्तों नें सिखाया है उन्हीं के नक्श-ए-क़दम पर चलकर इंसानी खुदा बनना सीख रहा हुँ मेरी ज़रूरत में अपना बदलता रंग मुझे कुछ रिश्तों ने दिखाया है उन्हीं इंसानी रिश्तों का अब मैं कर्ज़ अदा करना सीख रहा हुँ सारांश...जिंदगी का