रस्ता और गाँव जब सारे नाते तोड़ चले फिर क्या आना इन गलियों में, कभी इन्हीं गलियों में अपना प्यार लुटाया करते थे। सहमें-सहमें से बंद हैं आज सभी खिड़की दरवाजे, तब घर का चूल्हा जलाने को आग जुटाया करते थे। होड़ लगी है हर दिल में गला काट आगे बढ़ने की, तब छप्पर की जलती लपटों को साथ बुझाया करते थे। आज सभी भौतिक सुख-साधन आवश्यकता बन गए घरों की, तब मनोरंजन की खातिर केवल घर-घर जाया करते थे। आज हर कोई डरा हुआ कि वर्चस्व मेरा न काम होए, तब गाँव की इज़्ज़त की खातिर हम प्राण न्यौछावर करते थे। #रास्ता #गांव #गली #नोजोटो pooja negi#