लहरे सुना है के इक दिन ये दुनिया डु़ब जायेगी क्या वो लहरे जो नजा़कत से मेरे पैरो को छू के वापिस लौट जाती है सच में हमें डुबा पायेगी शब्दवेडी #१३/३६५