सियासत के इस दौर में देखों कलमें निलाम हो गई, सच की बात करते करते स्याही हिन्दू मुसलमान हो गई... हकीकत कुछ और ही थी मगर उसने जाना कुछ और, वो आवाम थी साहब गुमराह, दिन ढलते मारे थकान सो गई... #कलम #सियासत #धर्म #स्याही #झूठ और #शोहरत यही है सत्य आज के #बुद्धिजीवी लेखकों का