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बचपन से ही वो नकचढ़ी थी । मां बाप भाई बहन से खूब

बचपन  से ही वो नकचढ़ी थी ।
मां बाप भाई बहन से खूब लड़ी थी ।
आज वो मायूस थी रो रही थी ।
वो सब रिश्ते छोड़ डोली चढ़ी थी ।

 नटखट थी पर सब की दुलारी थी।
  वो जा रही थी सभी को रुला रही थी ।
नाराज हो या किसी कष्ट में हो उसकी,
 कार्य दक्षता सबको लुभा रही थी ।

एक तरफ पिया से मिलन की खुशी थी ।
 दूजी तरफ अपनों से दूरी की नाखुशी थी।
कितना मुश्किल भरा समय रहा होगा ।
जब एक बेटी दो रिश्तों को चला रही थी ।

नई जगह नए लोग नई बातें मुलाकातें ,भारत,
सब का साथ सबकी खुशियां सबकी उम्मीदें।
ये कला सिवाय नारी के और किसके पास है ।
इसीलिए नारी पूज्य है दिलसे नारी का है स्वागत ।

©भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन #पराया धन Mahesh Ramani Kushal Disha Alka Pandey munish writer @MK Pejval Mpbs Krushna ᴩᴏᴏᴊᴀ ᴜᴅᴇꜱʜɪ Anupriya Rama Goswami R K Mishra " सूर्य " Suhana parvin M@nsi Bisht Satish Kaushal tishaa bhoomi शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) Brajraj Singh Raj Guru Ankit verma 'utkarsh' Neha Bhargava (karishma) dhanyasajeev pinky masrani अभय (पथिक) Dil E Nadan A G Birajdar Subhash Chandra Priyanka Rajput Chanda Singh Jonee Saini Anshu writer Satish Kaushal Babli Gurjar CA Puja(Jasmine )Jaiswal Praveen Jain "पल्लव" Om Aryan