हक़ीक़त ऐ ज़िन्दगी, घर से हम निकले भविष्य के सपने सँजोये, कुछ ख्वाब नये ज़िन्दगी के बस्तों में लिए । कड़ी मेहनत कर एक बार मे एग्जाम निकलूंगा, कुछ बन के जल्दी ही घर वापस आऊँगा। झोंक दिया पूरा साल मैंने पढ़ाई में, भुल के ज़माने की सारी खुशियाँ। कब राखी,ईद,और दीवाली गई, अपनो के बिना सारे त्यहार मनाये। क्या थी ख़बर कुछ नंबर से चूक जाऊँगा, इस बार नही माँ अगली बार घर जरूर आऊँगा। कुछ कमियां है, अभी भी जीने सीखना है बाकी, इस बार तो नही पक्का अगली बार जरूर आऊँगा। एग्जाम की राह में कब चार साल यू गुजर गए इस कि ख़बर नही, एग्जाम तो निकला नही ज़िन्दगी भी चार साल पीछे हो गई। जब मुड़ के पीछे देखा तो कुछ न था हाथ मे , ख़्वाब औऱ हम दोनों ही बिखर गए। #हक़ीक़त_ऐ_ज़िन्दगी, #MrShabdkaar