दुनिया के रंगमंच पर नाटक जारी हैं यहां मैला परिवेश हैं ना जाने किसके कितने किरदार हैं, हैं किरदार अनंत सबके पर रूप कुरूप न किसी का हैं फिरते चेहरों पर भेद छुपाएं इनसे बड़ा पाथर न कोय, दुनिया के रंगमंच पर नाटक जारी हैं कभी कड़वी तो कभी मीठी जुबानी बातें हैं ये बातें न जाने क्यों आज कल लगती इतनी स्वार्थि सी हैं आज मन सर्जन-रत पर लगे तो लगे कैसे यहां सबका भाग्य के नाम पर टूटना जारी हैं दुनिया के रंगमंच पर नाटक जारी हैं । ~तनुश्री कुकडे #नकाब चेहरो के ऐसे भी #Wish