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सच्चिदानंद =सत्+चित्+आनंद सत्= ।।यत् अस्ति त्रिका

सच्चिदानंद =सत्+चित्+आनंद

सत्= ।।यत् अस्ति त्रिकालेषु न बाध्यते तत् सद्।। 

जो सदा वर्तमान है और तीनों कालों के बंधन से मुक्त है वह सत् है। 

चित्= ।।यः चेतयति संज्ञापयति सर्वान् सः चित्।। 

जो समस्त चेतन आत्माओं को सत्य असत्य के लिए हमेशा चेताता रहता है वह चित है। 

आनंद = ।।यः सर्वान् आनंदयति सः आनंदम्।। 
 जो समस्त आत्माओं को आनंद प्रदान करता है वह आनंद है। 

जो सदा सदमार्ग अपनाने के लिए चेताता रहता है उस परमेश्वर को सच्चिदानंद कहते हैं।  सच्चिदानंद
सच्चिदानंद =सत्+चित्+आनंद

सत्= ।।यत् अस्ति त्रिकालेषु न बाध्यते तत् सद्।। 

जो सदा वर्तमान है और तीनों कालों के बंधन से मुक्त है वह सत् है। 

चित्= ।।यः चेतयति संज्ञापयति सर्वान् सः चित्।। 

जो समस्त चेतन आत्माओं को सत्य असत्य के लिए हमेशा चेताता रहता है वह चित है। 

आनंद = ।।यः सर्वान् आनंदयति सः आनंदम्।। 
 जो समस्त आत्माओं को आनंद प्रदान करता है वह आनंद है। 

जो सदा सदमार्ग अपनाने के लिए चेताता रहता है उस परमेश्वर को सच्चिदानंद कहते हैं।  सच्चिदानंद
ckjohny5867

CK JOHNY

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सच्चिदानंद