वो घर के आँगन को छोड़ना पड़ता है गौरीगंज की गलियों से भी मुँह मोड़ना पड़ता है वो Science रखके साहित्य में रूचि रखना छोड़ नौकरी मन था फिल्मों में गीत लिखना सपने ने इतना सताया कि घर भी न बसा पाया क्या करें? थोड़ा मुन्तशिर तो होना पड़ता है... बम्बई जाने बाबा को मनाना पड़ता है माँ का स्नेह भरा आँचल भूलाना पड़ता है दोस्तों को रेल्वे स्टेशन पर आख़री बार मिलकर कलम की शक्ति को उजागर करने यार जीवन में हांसिल करने एक मुकाम क्या करें? थोड़ा मुन्तशिर तो होना पड़ता है... फुटपाथों पर सोना पड़ता है घर ठीक हूँ ये भी कहना पड़ता है लोगों से, हालातों से, किस्मत से लड़कर अपनी काबिलियत दिखाने दरों भटककर नेपोटिसम भरे क्षेत्र में कोहिनूर सा चमकने क्या करें? थोड़ा मुन्तशिर तो होना पड़ता है.... ज़िद पर अड़े तो उसे पूरा भी करना पड़ता है नीलम संग स्ट्रगल के दिनों को भी ख़ुशी से गुज़ारना पड़ता है 'तेरी गलियाँ' आने से समय भी बदला 'तेरी मिट्टी' ने कलम का बाहुबली बना दिया लाखों लोगों के दिलों पर राज करने वाले "मनोज मुन्तशिर" को भी क्या करें तुलसी? थोड़ा मुन्तशिर तो होना पड़ता है... ©Tulsi Malam Happy Birthday Manoj Muntashir Shukla Bhai #ManojMuntashir