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White ऋतुओं में जब शिशिर का ठौर आने लगे आम्रकुंज म

White ऋतुओं में जब शिशिर का ठौर आने लगे
आम्रकुंज में आम्र वृक्ष पर बौर आने लगे

चुप  हो  गया जंगल का बादशाह जब से
तब  गीदड़ों  के  बोल भी और आने लगे

पुरखे  जिनके  सोते  आ  रहे  हैं  जमीं पे
उनके  नवासों  के भी अब दौर आने लगे

छुप  गया  चांद  जब  बदली की ओंट में
आसमान में फिर तारों संग सौर आने लगे

मुनासिब  ना  समझा  मिलना  मै जिनसे
हुज़ूर  उनके  चेहरे  अब  ग़ौर  आने लगे

©बिमल तिवारी “आत्मबोध” #Thinking #gazal
White ऋतुओं में जब शिशिर का ठौर आने लगे
आम्रकुंज में आम्र वृक्ष पर बौर आने लगे

चुप  हो  गया जंगल का बादशाह जब से
तब  गीदड़ों  के  बोल भी और आने लगे

पुरखे  जिनके  सोते  आ  रहे  हैं  जमीं पे
उनके  नवासों  के भी अब दौर आने लगे

छुप  गया  चांद  जब  बदली की ओंट में
आसमान में फिर तारों संग सौर आने लगे

मुनासिब  ना  समझा  मिलना  मै जिनसे
हुज़ूर  उनके  चेहरे  अब  ग़ौर  आने लगे

©बिमल तिवारी “आत्मबोध” #Thinking #gazal