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                     माँ (सवैया) नेह अथाह लिए उर

                     माँ (सवैया)

नेह अथाह लिए उर में सुत के हित दुःख सहे सब माता।

सागर सा उमड़े जियरा उसका वह पुत्र कहे जब माता ।।

देखत रोवत लालन को झट लाख उपाय करे तब माता ।

पुत्र करे अपराध सहे पर पूत कपूत कहे कब माता ।।

पवन कुमार ,सीतापुर
                     माँ (सवैया)

नेह अथाह लिए उर में सुत के हित दुःख सहे सब माता।

सागर सा उमड़े जियरा उसका वह पुत्र कहे जब माता ।।

देखत रोवत लालन को झट लाख उपाय करे तब माता ।

पुत्र करे अपराध सहे पर पूत कपूत कहे कब माता ।।

पवन कुमार ,सीतापुर