Nojoto: Largest Storytelling Platform

बाबा ने विदा किया, ​तो...बाबुल का घर, ​मायका बन गय

बाबा ने विदा किया,
​तो...बाबुल का घर,
​मायका बन गया,
है ​जहाँ था जनम लिया,
​खेला-कूदा..था हँसी खुशी बचपन गुजारा,
​कभी माँ की लाडो तो कभी बाबा की परी बनी,
​भैया संग लड़कर..उसका दुलार बनी,
​हुआ जो ब्याह...घर ​पिया..पहुँची वो,
​डोली में बैठ..हाथों में मेंहदी रचा,
​पैरों में लाल महावर संग पायल सजा,
​माथे पर माँग टीका..माँग में सिंदूर लगा,
​अरमानों को सजों..नैनों मे सपनों को पिरो,
​पलकों को वो..अपने भिगो,
अब ​जहाँ था लिखा..जीना-मरना,
​डोली मे आकर पिया के कांधे पर अर्थी में जाना,
​..वो ससुराल बन गया,
​
​सोच में बैठी थी वो..ये सोचने को,
​इन दोनों में.......​घर,,,जो...मेरा था,
​वो कहाँ गया..?
​अस्तित्व था मेरा..दोनों से जुड़ा,
​एक जगह था जनम लेना मेरा,
​तो,,,,था दूँजी जगह मेरा मरना लिखा,
​एक स्त्री हूँ मै...
​कितना अजीब है न,
​जीने-मरने की जगह तो मिली,
​पर....घर मुझको मेरा नहीं मिला...।।    -AK__Alfaaz..
​ लगभग सभी स्त्रियों का एक..प्रश्न
रचना अनुशीर्षक मे भी,

#मेरा_घर...?

बाबा ने विदा किया,
​तो...बाबुल का घर,
​मायका बन गया,
बाबा ने विदा किया,
​तो...बाबुल का घर,
​मायका बन गया,
है ​जहाँ था जनम लिया,
​खेला-कूदा..था हँसी खुशी बचपन गुजारा,
​कभी माँ की लाडो तो कभी बाबा की परी बनी,
​भैया संग लड़कर..उसका दुलार बनी,
​हुआ जो ब्याह...घर ​पिया..पहुँची वो,
​डोली में बैठ..हाथों में मेंहदी रचा,
​पैरों में लाल महावर संग पायल सजा,
​माथे पर माँग टीका..माँग में सिंदूर लगा,
​अरमानों को सजों..नैनों मे सपनों को पिरो,
​पलकों को वो..अपने भिगो,
अब ​जहाँ था लिखा..जीना-मरना,
​डोली मे आकर पिया के कांधे पर अर्थी में जाना,
​..वो ससुराल बन गया,
​
​सोच में बैठी थी वो..ये सोचने को,
​इन दोनों में.......​घर,,,जो...मेरा था,
​वो कहाँ गया..?
​अस्तित्व था मेरा..दोनों से जुड़ा,
​एक जगह था जनम लेना मेरा,
​तो,,,,था दूँजी जगह मेरा मरना लिखा,
​एक स्त्री हूँ मै...
​कितना अजीब है न,
​जीने-मरने की जगह तो मिली,
​पर....घर मुझको मेरा नहीं मिला...।।    -AK__Alfaaz..
​ लगभग सभी स्त्रियों का एक..प्रश्न
रचना अनुशीर्षक मे भी,

#मेरा_घर...?

बाबा ने विदा किया,
​तो...बाबुल का घर,
​मायका बन गया,
akalfaaz9449

AK__Alfaaz..

New Creator