माज़ी में सिमटी खामोशी पैगाम बनके आयी है, हवा के ठंडे झोकों से तूफान बनके आयी है, दस्तक देके इस दिल पर उसने कुछ याद दिलाया है, कब से बन्द किताबों के पन्नो को फिर सहलाया है, उन पन्नो की गाथा अब जुवान बनके आयी है, हवा के ठंडे झोकों से तूफान बनके आयी है, दुनिया से अंजान पथिक ने राहों में जाना छोड़ दिया, भटके हुए मुसाफ़िर ने राहों को पाना छोड़ दिया, अंजान मुसाफ़िर की तड़पन गुवार बनके आयी है, हवा के ठंडे झोकों से तूफान बनके आयी है, पत्थर की जैसे किसी शिला ने पीछे मुड़कर देखा है, शांत झील के पानी में कंकर को जैसे फेंका है, पत्थर की उस चोट से वो सूनामी बनके आयी है, हवा के ठंडे झोकों से तूफान बनके आयी है, होंठों की खामोशी आज पैगाम बनके आयी है, हवा के ठंडे झोकों से तूफान बनके आयी है, #Life #writersunplugged #wu #top50