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आत्महन्ता! अतिरेक तरंगें स्नायु तंत्र को सिकोड़ती

आत्महन्ता!

अतिरेक तरंगें
स्नायु तंत्र को सिकोड़ती / निचोड़कर
रक्त की आर्द्रता सारी
कलस्टर कणिकाओं / यानि खून का थक्का
जमता होगा
मैं पूछ रहा,
श्वास लेने में कहीं कोई तकलीफ़ तो नहीं
अटकता है कुछ क्या... / तब तो
बदलती फिजाओं में होती है घुटन
अगर हां / तो फिर...तू जा
खुली हवा में सांस ले, दम भर!
फिर आना इधर
मेरी मान्यताओं की बकठेठी सुनने
वैसे तुम चाहो, अन्यथा / ले सकते हो।
मगर देखो !
मैं हूं जीवन-
जीवन्त और भ्रमणशील
तू दूर रह मुझसे / मत हो शामिल मेरी
दौड़ ए आवारगी में
वरना... एक दिन, अचानक, यूं ही
तू करेगा वध, निज हाथों ही
मगर किसका... /खैर जाने दो...

@manas_pratyay

©river_of_thoughts #aatmahanta
आत्महन्ता!

अतिरेक तरंगें
स्नायु तंत्र को सिकोड़ती / निचोड़कर
रक्त की आर्द्रता सारी
कलस्टर कणिकाओं / यानि खून का थक्का
जमता होगा
मैं पूछ रहा,
श्वास लेने में कहीं कोई तकलीफ़ तो नहीं
अटकता है कुछ क्या... / तब तो
बदलती फिजाओं में होती है घुटन
अगर हां / तो फिर...तू जा
खुली हवा में सांस ले, दम भर!
फिर आना इधर
मेरी मान्यताओं की बकठेठी सुनने
वैसे तुम चाहो, अन्यथा / ले सकते हो।
मगर देखो !
मैं हूं जीवन-
जीवन्त और भ्रमणशील
तू दूर रह मुझसे / मत हो शामिल मेरी
दौड़ ए आवारगी में
वरना... एक दिन, अचानक, यूं ही
तू करेगा वध, निज हाथों ही
मगर किसका... /खैर जाने दो...

@manas_pratyay

©river_of_thoughts #aatmahanta