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"तुम्हारे साथ" जब कभी बैठो लिए हाथ में अखबार और च

"तुम्हारे साथ"
जब कभी  बैठो लिए हाथ में अखबार
और चंचल हवा करे तुम्हे रह रह कर परेशान
तब तुम समझना मैं वहीं कहीं हूं
तुम्हारे आस पास....
जब आंखे खोलोगे सुबह सुबह और
सूरज की नन्ही किरणें
झांक रही होंगी दरारों से
तब उनकी अटखेलियों में 
मुझे ढूंढ़ना, मैं वहीं रहूंगी
उनके प्रकाश में....
और चलते चलते जब 
अचानक हंसा देगी कभी कोई मीठी याद
उस हंसी में भी मुझे ही तुम पाओगे....
चाय का प्याला लिए जो तुम कभी बैठो
घर के आंगन में...
तब...तब.तुम रख लेना 
उस मेज पर 
दूसरा प्याला भी साथ
ये सोच कर, मैं हमेशा
हूं तुम्हारे साथ ....
 जब कभी  बैठो
लिए हाथ में अखबार
और चंचल हवा करे 
तुम्हे रह रह कर परेशान
तब तुम समझना
मैं वहीं कहीं हूं
तुम्हारे आस पास....
मैं तब भी तुम्हारे
"तुम्हारे साथ"
जब कभी  बैठो लिए हाथ में अखबार
और चंचल हवा करे तुम्हे रह रह कर परेशान
तब तुम समझना मैं वहीं कहीं हूं
तुम्हारे आस पास....
जब आंखे खोलोगे सुबह सुबह और
सूरज की नन्ही किरणें
झांक रही होंगी दरारों से
तब उनकी अटखेलियों में 
मुझे ढूंढ़ना, मैं वहीं रहूंगी
उनके प्रकाश में....
और चलते चलते जब 
अचानक हंसा देगी कभी कोई मीठी याद
उस हंसी में भी मुझे ही तुम पाओगे....
चाय का प्याला लिए जो तुम कभी बैठो
घर के आंगन में...
तब...तब.तुम रख लेना 
उस मेज पर 
दूसरा प्याला भी साथ
ये सोच कर, मैं हमेशा
हूं तुम्हारे साथ ....
 जब कभी  बैठो
लिए हाथ में अखबार
और चंचल हवा करे 
तुम्हे रह रह कर परेशान
तब तुम समझना
मैं वहीं कहीं हूं
तुम्हारे आस पास....
मैं तब भी तुम्हारे
seemakatoch7627

Seema Katoch

New Creator