मुसीबत जब भी आती है बलायें टाल देती है। दुआओं की मुझे अपनी सदा ही ढाल देती है।। मुकद्दर का सिकंदर हूँ तेरा आशीष पाकर के, जब भी गिरता हूँ तो मेरी माँ सँभाल देती है।।