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एक ख़ाब जो देखा था मैंने वो पल भर में ही तोड़ गया,

एक ख़ाब जो देखा था मैंने 
वो पल भर में ही तोड़ गया,
कितना समझाया खुद को मैं 
वो दिल में चाहत भर ही गया।

कैसे रहूँ भला अब उसके बिन, 
किस हद तक उसको याद करूँ।
वो क्या जाने मेरी चाहत को,
कैसे दिल में उसके प्यार भरूँ।

सोचा हमने कुछ और ही था,
वो कुछ और समझ कर छोड़ गया।
एक ख़ाब जो देखा था मैंने 
वो पल भर में ही तोड़ गया,
कितना समझाया खुद को मैं 
वो दिल में चाहत भर ही गया। #read more poetry on pratilip
click on the link....
"एक ख़ाब (गीत)", को प्रतिलिपि पर पढ़ें :
https://hindi.pratilipi.com/story/X6Ba89DJRzvl?utm_source=android&utm_campaign=content_share
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वो पल भर में ही तोड़ गया,
कितना समझाया खुद को मैं 
वो दिल में चाहत भर ही गया।

कैसे रहूँ भला अब उसके बिन, 
किस हद तक उसको याद करूँ।
वो क्या जाने मेरी चाहत को,
कैसे दिल में उसके प्यार भरूँ।

सोचा हमने कुछ और ही था,
वो कुछ और समझ कर छोड़ गया।
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वो पल भर में ही तोड़ गया,
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