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"आपणी शान" फूल री सुगंध सुहावणी माने घणी निरावलीं

"आपणी शान"

फूल री सुगंध सुहावणी
माने घणी निरावलीं लागे
इण धोरा धरती रे शोभा निरावलीं लागे
दुखियों -सखियों री आण राजस्थानी
मरुधरा माथे सुआवणी लागे
मेमाणा री आवण जोधाणा बतावे
राजस्थानी पगड़ी सतरंगी लहरियो लहरावे
पावणा इण धरती माथे जिणरौ
बाढाणौ तिलक सजावे
थार री मावडी़ थासू बिण रहियौ न जावे
इण माटी् रो जो तिलक सजावे
वो योध्दो मान बण जावे
मरूधरा री गाथा घीणी निरालीं लागे
अरे इण माटी् में तो हीरा - मोती उपजें
आ निरावलीं गाथा रण सूणावें
 मरूधरा री गाथा अजब निरावलीं लागें 

                              By poet- Ran parmar आपणी शान
#dawn
"आपणी शान"

फूल री सुगंध सुहावणी
माने घणी निरावलीं लागे
इण धोरा धरती रे शोभा निरावलीं लागे
दुखियों -सखियों री आण राजस्थानी
मरुधरा माथे सुआवणी लागे
मेमाणा री आवण जोधाणा बतावे
राजस्थानी पगड़ी सतरंगी लहरियो लहरावे
पावणा इण धरती माथे जिणरौ
बाढाणौ तिलक सजावे
थार री मावडी़ थासू बिण रहियौ न जावे
इण माटी् रो जो तिलक सजावे
वो योध्दो मान बण जावे
मरूधरा री गाथा घीणी निरालीं लागे
अरे इण माटी् में तो हीरा - मोती उपजें
आ निरावलीं गाथा रण सूणावें
 मरूधरा री गाथा अजब निरावलीं लागें 

                              By poet- Ran parmar आपणी शान
#dawn
ranaramranaram9556

Ran parmar

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