कोराकाग़ज़ कविसम्मेलन द्वित्तीय समापन की ओर ले जाते हुए मैं आयोजक मण्डल का आभार व्यक्त करता हूँ और आज कुछ कॉकटेल लिखता हूँ आनंद लीजिए। कैप्शन में --- मैंने बस उम्मीद जताई है ---- 💐💐💐💐💐💐💐 उम्मीद है कि सब-कुछ ठीक हो जायेगा। ज़हरीली हवाओं का शोर टिक नहीं पायेगा। धूँ-धूँ कर जल रहे हैं अभी ख़्वाब आँखों में। पलकों की जलन बुझाने आँसू भी आयेगा।