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जब मेरे कविता की मौत हुई ऐसे लगा जैसे मेरे क़ल्ब क

जब मेरे कविता की मौत हुई
ऐसे लगा जैसे मेरे क़ल्ब को चोट लगी
मेरी कलम बिल्कुल मेरे दिल की तरह टूटी
मुझसे मेरी आत्मा हो जैसे जुदा हो कर छुटी
अब तो मेरे अल्फाजों की नगरी भी मुझे लगने लगी सुनी सुनी
कर आकिबत-ए-कविता, लगता हैं जैसे में बन गयी अपने ही अरमानों की खूनी

अब तो मुझमे ही मेरा अस्तित्व नही रहा
मेरे मस्तिष्क में चलता शब्दों का बवंडर शांत हुआ
मुझसे ही मेरे ख्यालों का अज़ीज सा रब्त जुदा हुआ क़ल्ब=ह्रदय
आकिबत-ए-कविता=कविता का अंत
रब्त =संबंध

#aestheticthoughts 
#poetrydaychallenge1  
#worldspoetryday 
#atpoetrydayfun
जब मेरे कविता की मौत हुई
ऐसे लगा जैसे मेरे क़ल्ब को चोट लगी
मेरी कलम बिल्कुल मेरे दिल की तरह टूटी
मुझसे मेरी आत्मा हो जैसे जुदा हो कर छुटी
अब तो मेरे अल्फाजों की नगरी भी मुझे लगने लगी सुनी सुनी
कर आकिबत-ए-कविता, लगता हैं जैसे में बन गयी अपने ही अरमानों की खूनी

अब तो मुझमे ही मेरा अस्तित्व नही रहा
मेरे मस्तिष्क में चलता शब्दों का बवंडर शांत हुआ
मुझसे ही मेरे ख्यालों का अज़ीज सा रब्त जुदा हुआ क़ल्ब=ह्रदय
आकिबत-ए-कविता=कविता का अंत
रब्त =संबंध

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22jagrutivagh5774

jagruti vagh

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