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मैं तो हर वक्त ख़ास लिख लेता हूँ तुझे ना जाने क्यो

मैं तो हर वक्त ख़ास लिख लेता हूँ तुझे ना जाने क्यों नहीं पता,
पर तेरे हर नए अहसास को लफ्जों में पिरोता है ए सनम सफ़र तेरा,

कभी यूं ही लिखता था मैं बे खयाली सा खुद में खुश होकर सुन,
दे गया मुझे भी अनजाने ख्याल ना जाने कब ये सफर तेरा,

भरा हुआ है अब तेरी रूह का कतरा कतरा इश्क के एहसासों से,
दिखा गया तेरे एहसासों के समुंदर को मुझे भी ये सफ़र तेरा,

दर्द मिलता है अक्सर इश्क की राहों पे मैने सुना था बस ए सनम,
टूट कर बिखर जाता है दिल का हर हिस्सा बताता है सफ़र तेरा,

लिख रहा है तेरे हर अहसास को अपनी कलम की स्याही से सुन,
खुदा ने चाहा तो कभी फिर बन बैठेगा पाक इश्क हमसफ़र तेरा।।
                                                                           Part 5

©Alfaaz dil se #WallTexture
मैं तो हर वक्त ख़ास लिख लेता हूँ तुझे ना जाने क्यों नहीं पता,
पर तेरे हर नए अहसास को लफ्जों में पिरोता है ए सनम सफ़र तेरा,

कभी यूं ही लिखता था मैं बे खयाली सा खुद में खुश होकर सुन,
दे गया मुझे भी अनजाने ख्याल ना जाने कब ये सफर तेरा,

भरा हुआ है अब तेरी रूह का कतरा कतरा इश्क के एहसासों से,
दिखा गया तेरे एहसासों के समुंदर को मुझे भी ये सफ़र तेरा,

दर्द मिलता है अक्सर इश्क की राहों पे मैने सुना था बस ए सनम,
टूट कर बिखर जाता है दिल का हर हिस्सा बताता है सफ़र तेरा,

लिख रहा है तेरे हर अहसास को अपनी कलम की स्याही से सुन,
खुदा ने चाहा तो कभी फिर बन बैठेगा पाक इश्क हमसफ़र तेरा।।
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©Alfaaz dil se #WallTexture