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ठोकर जमाने की जब भी खाता हूं, माँ के आँचल में ही स

 ठोकर जमाने की
जब भी खाता हूं,
माँ के आँचल में ही
सदा सम्बल पाता हूँ।
जब भी रुख़सत  
जिंदगी से होता हूँ,
माँ के चरणों में ही
सदा झुक जाता हूँ।
 ठोकर जमाने की
जब भी खाता हूं,
माँ के आँचल में ही
सदा सम्बल पाता हूँ।
जब भी रुख़सत  
जिंदगी से होता हूँ,
माँ के चरणों में ही
सदा झुक जाता हूँ।
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ANIL KUMAR

New Creator