दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है ,आख़िर इस दर्द की दवा क्या है हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार , या इलाही ये माजरा क्या है मैं भी मुँह में ज़बान रखता हूँ , काश पूछो कि मुद्दा क्या है जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद ,फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है सब्ज़ा ओ गुल कहाँ से आए हैं ,अब्र क्या चीज़ है हवा क्या है हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद ,जो नहीं जानते वफ़ा क्या है हाँ भला कर तेरा भला होगा ,और दरवेश की सदा क्या है जान तुम पर निसार करता हूँ ,मैं नहीं जानता दुआ क्या है मैं ने माना कि कुछ नहीं 'ग़ालिब' ,मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है - मिर्ज़ा ग़ालिब #galib #shayari #bestshayari #galibkishayri #best #nightmusings #tribute #writing गालिब की शायरी .........🤗😍👌 Best