Nojoto: Largest Storytelling Platform

A Mother's Prayer प्रिय संस्कृति,

A Mother's Prayer  प्रिय  संस्कृति,                                                                                            इक दिन सोना बन तू निखरेगी, मैं इतना तुझे तपाऊँगी,                                   है सहज नहीं जीवन " संस्कृति ", जीने की  कला तुझे मैं सिखाऊंगी                      हर पग नई चुनौती है, तम में ही छिपी कहीं ज्योति है                                            तेरे हाथों में ही जुगनू है,                                                                                    बस मुट्ठी खोल के देख जरा, तम को भगा कर,                                                    कर सकती है,  तू खुद ही जीवन में उजियारा |                                                      गिरना -उठना, उठना -गिरना, ऐसी जीवन की सीढ़ी है,                                             गिर कर ही तू खुद उठ सकती है,                                                                                  क्योंकि तू इक नूतन पीढ़ी है |                                                                             विश्वास, आस व उत्साह तुझमें,                                                                            कम न हो श्रम -प्रवाह तुझमें,                                                                    इसके लिए जगना रातों में,                                                                         और आज मैं बातों -बातों मे, इक बात तुझे मैं बताऊँगी,                                         कल मैं रहूँ न रहूँ इस जग में, पर तेरी कीर्ति बिखरेगी |                                            मैं इतना तुझे तपाऊँगी कि इक दिन सोना बन तू निखरेगी ||                                  -                        तुम्हारी माँ _स्मृति #nojoto, hindi poem #इक माँ की चाह #🥰Always stay blessed my princess
A Mother's Prayer  प्रिय  संस्कृति,                                                                                            इक दिन सोना बन तू निखरेगी, मैं इतना तुझे तपाऊँगी,                                   है सहज नहीं जीवन " संस्कृति ", जीने की  कला तुझे मैं सिखाऊंगी                      हर पग नई चुनौती है, तम में ही छिपी कहीं ज्योति है                                            तेरे हाथों में ही जुगनू है,                                                                                    बस मुट्ठी खोल के देख जरा, तम को भगा कर,                                                    कर सकती है,  तू खुद ही जीवन में उजियारा |                                                      गिरना -उठना, उठना -गिरना, ऐसी जीवन की सीढ़ी है,                                             गिर कर ही तू खुद उठ सकती है,                                                                                  क्योंकि तू इक नूतन पीढ़ी है |                                                                             विश्वास, आस व उत्साह तुझमें,                                                                            कम न हो श्रम -प्रवाह तुझमें,                                                                    इसके लिए जगना रातों में,                                                                         और आज मैं बातों -बातों मे, इक बात तुझे मैं बताऊँगी,                                         कल मैं रहूँ न रहूँ इस जग में, पर तेरी कीर्ति बिखरेगी |                                            मैं इतना तुझे तपाऊँगी कि इक दिन सोना बन तू निखरेगी ||                                  -                        तुम्हारी माँ _स्मृति #nojoto, hindi poem #इक माँ की चाह #🥰Always stay blessed my princess