ना दिल में जगह दि ना घर में पनाह चिंता भी जल गई मेरी मंजिल के बिना शांश भी रूक जाती तेरी एक आवाज पर पर तू भी ना आई मेरे कब्र के स्थान पर मेरे कब्र के स्थान पर