निगाहों को बोलने दो, अपने दिल के दबे अल्फाज़, जो जाहिर ना कर सकते तुम, अपनी जुबा से। निगाहें होती है, एक नाजुक सा आईना, जो बहुत कुछ कह जाती है, लेकिन कमी है तो सिर्फ, निगाहें पढ़ने वालों की। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-987 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।