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रईस दिखनेवाले पिंजरे में फिर कैद नही होना हैं नर्म

रईस दिखनेवाले पिंजरे में फिर कैद नही होना हैं
नर्म बिस्तर वह चुभता है दिलकों, बस जमीन पें सोना हैं

भाग के आगें आए है उस शिकारी की जाल सें 
पर अब वही शिकारी बुला रहा है प्यार से

दिल को पता है यह सब एक साजिश है
पर लौटने की क्यो हो रही ख्वाहिश है

दर्द होता है यह बात शिकारी भी जानता है 
फिर भी दिलसे वो खेलकेही मानता है

गलती उसकी नही उसे दिल बहलाना है
गलत हम है जिसने शिकारी को चुना है

©P.M. Borse
  shikari
pranitaborse4686

P.M. Borse

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shikari #कविता

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