रात- रात जग कर मेरे पापा ने अपने ख्वाबों💭 को छोड़ मेरे ख्वाब को बुना है, में कैसे भुल जाऊँ मेरे ख्वाबों 💭 की परवरिश किसी मिट्टी से नहीं हुई जो पिघल जाये, बल्कि पत्थर🗿 से की गई है जो तराशी ही जायेगी | #Hope #dream