चिरागों को आंखों में महफूज़ रखना, बड़ी दूर तक रात ही रात होगी.. न तुम होश में हो न हम होश में हैं, चलो मय-क़दे में वहीं बात होगी.. मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफ़िर हैं हम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी.. "पंकज ममार" किसी मोड़ पर फिर मुलाकात जरूर होगी।।✍️✍️