karwachauth मैं दिदार करती हूँ उस चाँद का जो मेरे दामन में समाता है वो हर पूनम मुझसे मिलने आता है दूज की काली स्याही रात में दो पल आकर रोनक कर जाता है आमावश्या को अकसर तड़पता है सप्तमी की रात से पूरा करने को मुझे अपना आकार बढाता है वो चौथ को अकसर इतराता है मैं पूजती हूँ उसको इसलिए देरी से आता है करवा चौथ की शुभकामनाएं