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धरती पर नहीं होती इन्हें रोटी मयस्सर, जन्नत में म

धरती पर नहीं होती इन्हें रोटी मयस्सर, 
जन्नत में मगर चाहिए इन्हें हूर बहत्तर.

इतरा रहे थे कल जो भारत को तोड़ कर, 
वो आज कटोरा लिए खड़े हैं सड़क पर.

©ajay sharma #PAK
धरती पर नहीं होती इन्हें रोटी मयस्सर, 
जन्नत में मगर चाहिए इन्हें हूर बहत्तर.

इतरा रहे थे कल जो भारत को तोड़ कर, 
वो आज कटोरा लिए खड़े हैं सड़क पर.

©ajay sharma #PAK