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एक ख्वाब छुपा रक्खा है मैने डायरी में एक जख्म हरा

एक ख्वाब छुपा रक्खा है मैने डायरी में
एक जख्म हरा  रक्खा है मैने डायरी में
कुछ यादें, कुछ बाते ,कुछ वादे और आँसू
जाने क्या क्या रक्खा है मैने डायरी में
जो बीत गया कब का पर जी रहा हूँ अब भी
वो कल भी बचा रक्खा है मैने डायरी में
उधार सारी किश्तें किसी के इश्क़ की हैं
 सब हिसाब लगा रक्खा है मैने डायरी में
मेरे साथ न है ढलता न वक़्त से बदलता
एक पल जवाँ रक्खा है मैने डायरी मे

©Rachit Kulshrestha meri diary #Rachitkulshrestha #dilkibaat  Poetrywithakanksha
एक ख्वाब छुपा रक्खा है मैने डायरी में
एक जख्म हरा  रक्खा है मैने डायरी में
कुछ यादें, कुछ बाते ,कुछ वादे और आँसू
जाने क्या क्या रक्खा है मैने डायरी में
जो बीत गया कब का पर जी रहा हूँ अब भी
वो कल भी बचा रक्खा है मैने डायरी में
उधार सारी किश्तें किसी के इश्क़ की हैं
 सब हिसाब लगा रक्खा है मैने डायरी में
मेरे साथ न है ढलता न वक़्त से बदलता
एक पल जवाँ रक्खा है मैने डायरी मे

©Rachit Kulshrestha meri diary #Rachitkulshrestha #dilkibaat  Poetrywithakanksha