कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें। 👇👇👇👇 इंद्र के अंशावतार यदुकुल वंश के पांडव और कुंती के तीसरे पुत्र थे अर्जुन । द्रोणाचार्य के शिष्य धनुर्विद्या में पारंगत और सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे वीर अर्जुन। शिव ने प्रसन्न हो पाशुपत अस्त्र और अग्नि ने आग्नेय अस्त्र,गांडीव धनुष व अक्षय तुणीर दिया, परशुराम से भी शस्त्रास्त्र विद्या सीखी वरुण ने इन्हें नंदीघोष नामक विशाल रथ दिया था। गंगा स्नान के दौरान गुरु द्रोणाचार्य के पैरों को एक मगर ने पकड़ लिया था। अर्जुन ने पानी के भीतर डूबे हुए मगर को पांच बाणों से मार कर गुरु को बचाया।