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नये थे हम तो इश्क़ के शहर में, बिल्कुल बेखबर थे इश्

नये थे हम तो इश्क़ के शहर में,
बिल्कुल बेखबर थे इश्क़ के क़हर से,
एक दिन एक मोड़ पर हम उस शख्स से टकरा गए,
जिनके पास खंजर था सना हुआ इश्क़ के जहर से,
आँखों की चमक,गालो की लाली,होंठो की हँसी और चेहरे की  मासूमियत,
क़त्ल करके वो मेरा न जाने अब किसकी सुपारी ली है 
अब तक मिल न पाये हैं हम उस पेशेवर से,
न ढूंढ पाओगे यारो क़ातिल को अपनी पैनी नज़र से,
आज भी कैद है वो चेहरा मेरी  नज़र  में ज़रा देखे कोई उसे मेरी नज़र से,
या तो वो खुद अपने जुर्म की सफाई देदे,
या कोई चश्मदीद बनकर मेरे क़त्ल की गवाही देदे
या ढूंढ़ लो कोई हकीम यारो जो उसे भूलने की दवाई देदे #इश्क़
नये थे हम तो इश्क़ के शहर में,
बिल्कुल बेखबर थे इश्क़ के क़हर से,
एक दिन एक मोड़ पर हम उस शख्स से टकरा गए,
जिनके पास खंजर था सना हुआ इश्क़ के जहर से,
आँखों की चमक,गालो की लाली,होंठो की हँसी और चेहरे की  मासूमियत,
क़त्ल करके वो मेरा न जाने अब किसकी सुपारी ली है 
अब तक मिल न पाये हैं हम उस पेशेवर से,
न ढूंढ पाओगे यारो क़ातिल को अपनी पैनी नज़र से,
आज भी कैद है वो चेहरा मेरी  नज़र  में ज़रा देखे कोई उसे मेरी नज़र से,
या तो वो खुद अपने जुर्म की सफाई देदे,
या कोई चश्मदीद बनकर मेरे क़त्ल की गवाही देदे
या ढूंढ़ लो कोई हकीम यारो जो उसे भूलने की दवाई देदे #इश्क़
nikhilojha1796

NIKHIL OJHA

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