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#OpenPoetry औरत - मर्द जिस वक्त औरत जिस मर्द के न

#OpenPoetry औरत - मर्द 
जिस वक्त औरत जिस मर्द के नाम के साथ निकाह नामे पर दस्तखत करती है फिर उस मर्द कि मुहब्बत सिर्फ उस औरत के लिये है औरत की मुहब्बत उस मर्द के लिये ।
अगर दोनों के बीच मुहब्बत नहीं हो तो बिना झिझक तिलाक ले लो उस औरत को मारना पिटना उसे बेइज्जत करना मेरी नजर मे यह मरदानगी नहीं है।
एक औरत के होते हुये दोसरी औरत कि तरफ हावी होना कहा कि मरदानगी है । नाजायज रिश्ते कायम करना कहा कि मरदांनगी है । मुझे उस औरत से भी नफरत है जो एक शादीशुदा मर्द को अपनी तरफ हावी होने देती है मुझे इस औरत से जादा वो तवायफ अच्छी लगती है जो मर्द कि हवस को अपने अंदर छुपा लेती है  किसी का घर नहीं उजाड़ती है । मुझे उस औरत से नफरत है जो एक औरत हो के एक औरत का घर उजाड़ देती है मुझे उस मर्द से भी नफरत है जो एक औरत के होते हुये दुसरी औरत कि तरफ हावी होता हैं ।। किसी मर्द या किसी औरत को यह हक नहीं है कि वो किसी का घर उजाड़ दे ।।
किसी एक को गलत ठहराना जायज नहीं है।।
(Aurat Ro Sakti H Dalile Nahi Pesh Kar Sakti__Iski Sab Se Badi Dalil Iski Aankh Se Bahta Howa Aansu Hai..
(Manto)

Ashab Khan
#OpenPoetry औरत - मर्द 
जिस वक्त औरत जिस मर्द के नाम के साथ निकाह नामे पर दस्तखत करती है फिर उस मर्द कि मुहब्बत सिर्फ उस औरत के लिये है औरत की मुहब्बत उस मर्द के लिये ।
अगर दोनों के बीच मुहब्बत नहीं हो तो बिना झिझक तिलाक ले लो उस औरत को मारना पिटना उसे बेइज्जत करना मेरी नजर मे यह मरदानगी नहीं है।
एक औरत के होते हुये दोसरी औरत कि तरफ हावी होना कहा कि मरदानगी है । नाजायज रिश्ते कायम करना कहा कि मरदांनगी है । मुझे उस औरत से भी नफरत है जो एक शादीशुदा मर्द को अपनी तरफ हावी होने देती है मुझे इस औरत से जादा वो तवायफ अच्छी लगती है जो मर्द कि हवस को अपने अंदर छुपा लेती है  किसी का घर नहीं उजाड़ती है । मुझे उस औरत से नफरत है जो एक औरत हो के एक औरत का घर उजाड़ देती है मुझे उस मर्द से भी नफरत है जो एक औरत के होते हुये दुसरी औरत कि तरफ हावी होता हैं ।। किसी मर्द या किसी औरत को यह हक नहीं है कि वो किसी का घर उजाड़ दे ।।
किसी एक को गलत ठहराना जायज नहीं है।।
(Aurat Ro Sakti H Dalile Nahi Pesh Kar Sakti__Iski Sab Se Badi Dalil Iski Aankh Se Bahta Howa Aansu Hai..
(Manto)

Ashab Khan