मजबूरी गरीब की कमजोरी नही उसकी ढाल होती है हर तकलीफो के अँधेरोमे उसकी जलती मशाल होती है गरीबी 😥 बहुत छोटा शब्द है पर इसमें दुख बहुत ज्यादा छूपे है । गरीबी इंसान से क्या कुछ नहीं कराती । कभी भीख मागने को मजबूर करती तो कभी भूखा ही सुलाती है ।। ये गरीबी तू पेट के लिए क्या कुछ नहीं कराती ।😥 कभी अपनों से दूर करती तो कभी अपने ही दूर हो जाते ।