शाश्वत से बादलों तक तूं है, निगाहों से साँसों तक तूं है, ख्वाबों से ज़ज़्बातों तक तूं है, कहूँ मैं क्या तुम्हें मेरे साजन, मेरे खयालों से इरादों तक तूं है।