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जब प्रेम पूर्ण रूप से प्रति फलित हो जाता है तो वास

जब प्रेम पूर्ण रूप से प्रति फलित हो जाता है तो वासना तिरोहित हो जाती है अतिकामुक होना प्रेम की अपूर्णता की निशानी है
 जिसके भी जीवन में प्रेम का अभाव रहा होगा
उसे वासना जल्दी पकड़ती हैं।
प्रेम की अपूर्णता ही कामुकता बढ़ाती है।

जब तुम्हें पूर्ण तरह प्रेम मिल जाता है।
हृदय में संतोष भाव उत्पन्न हो जाता है।

तब वासना व्याधि में नहीं परिवर्तित होती
जब प्रेम पूर्ण रूप से प्रति फलित हो जाता है तो वासना तिरोहित हो जाती है अतिकामुक होना प्रेम की अपूर्णता की निशानी है
 जिसके भी जीवन में प्रेम का अभाव रहा होगा
उसे वासना जल्दी पकड़ती हैं।
प्रेम की अपूर्णता ही कामुकता बढ़ाती है।

जब तुम्हें पूर्ण तरह प्रेम मिल जाता है।
हृदय में संतोष भाव उत्पन्न हो जाता है।

तब वासना व्याधि में नहीं परिवर्तित होती
vandana6771

Vandana

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