दर्द है बताऊ क्या, ज़ख्म है दिखाऊं क्या। अल्फ़ाज़ जो उभर रहे हैं, इससे ज्यादा सुनाऊं क्या। नफ़रत है या दिलों में मोहब्बत, शब्दों से अब समझाऊं क्या। हर ख्वाहिश दबी सी है, और अरमान सजाऊ क्या। अल्फ़ाज़ जो उभर रहे हैं, इससे ज्यादा सुनाऊं क्या.....! इससे ज्यादा सुनाऊं क्या....!