इस मुश्किल जमाने में रख कर हसीं चेहरे पर समेटे जख्मों को दिल में मैं बस मुस्कुराता रहा थी जरूरत उस शख्स की मुझे बेइंतहा जब कभी उसी वक्त हर दफा वो दूर मुझसे जाता रहा चाहता था पढ़ना जिंदगी के सबक साथ उनके मगर मैं बस उन्हें लिखता रहा और लिख कर मिटाता रहा ll जिसे पाना था बस मंजिल मेरी मगर होकर जुदा उस से भी मैं बस मुस्कुराता रहा चाहा था जिसे पूरी शिद्दत से मैने उसी की एक चाह के लिए में गिड़गिड़ाता रहा पाएगा वो कीर्ति जमाने में बेशक मेरे सपनो को मगर वो मिट्टी में मिलाता रहा मैं बस उन्हें लिखता रहा और लिख कर मिटाता रहा ll लिखकर मिटाता रहा 😊