मैं रेत ही तो हूँ साहिब फ़िसल जाऊँगा, आग क्या जलाएगी मैं तो ख़ुद ही जल जाऊँगा, जब तक था अलग मैं दुनियादारी से तब कुछ बन न पाऊँगा, लो आज हो गया सबकी तरह अब बताओ न में किधर जाऊँगा।। मैं तो रेत हूँ "साहिब" फ़िसल जाऊँगा... किधर जाऊँ अब भला..???