##मन्दिर-मस्जिद सब झुठे से लगते है,,, हर ख्वाब मेरे टुटे से से लगते है,,, हंसे थे जिन्दगी मे सपने से लगते है॥ ____मनु।। """हॅसना ही भुल गये##### विवेकानंद आर्य (Poetry Bhaiya) प्रभु की कृपा