White एल्बम से, डायरी से, ग़ज़ल से व याद से बे दख़्ल कर रहा हूँ तुम्हें जायदाद से मिक़दार को बढ़ाने में मे यार गिर गया लज़्ज़त ख़राब हो गयी फ़स्लों की, खाद से हम में जो रब्त था वो बहुत दर्दनाक था होता है जैसे ज़ख़्म का रिश्ता मवाद से मैं वो हूँ जिसका क़र्ज़ से होता गुज़र बसर तुम वो हो जिसका काम चले हैं मफ़ाद से अपनी मुराद होगी किसी और की हयात हम देखते रहेंगे खड़े ना - मुराद से मातम मना रहे हैं यहाँ शाइरी से हम ढांढस बंधा रहे हैं हमें लोग दाद से ©Harsh Dubey एल्बम से, डायरी से, ग़ज़ल से व याद से , बे दख़्ल कर रहा हूँ तुम्हें जायदाद से !! urdu poetry love poetry for her sad urdu poetry hindi poetry poetry