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*मैं* डूबे हुए तो हम है फिर सांस तुम्हारी क्यों भर

*मैं*
डूबे हुए तो हम है फिर सांस तुम्हारी क्यों भरती है, 
पास आकर तेरे लवो के यह हस्ती क्यों मचलती है, 
वो अहसास तेरा जिस्मानी लिया है कई बार को, 
फिर तेरे छुअन हर बार ख्वाइशे क्यों जलती है 

                             *वो*
                                तू समझा कहां है इश्क को जब सांस मेरी भरती है, 
                               मैं सजती हू मेरे यार को हस्ती तो गैरो की मचलती है, 
                               अहसास लिया था जिस्मानी तो संग घर बसाने को,
                               ख्वाइशे तो कब जली किसी की किसी के चाहने को
                                                                                   -देशांक #love
*मैं*
डूबे हुए तो हम है फिर सांस तुम्हारी क्यों भरती है, 
पास आकर तेरे लवो के यह हस्ती क्यों मचलती है, 
वो अहसास तेरा जिस्मानी लिया है कई बार को, 
फिर तेरे छुअन हर बार ख्वाइशे क्यों जलती है 

                             *वो*
                                तू समझा कहां है इश्क को जब सांस मेरी भरती है, 
                               मैं सजती हू मेरे यार को हस्ती तो गैरो की मचलती है, 
                               अहसास लिया था जिस्मानी तो संग घर बसाने को,
                               ख्वाइशे तो कब जली किसी की किसी के चाहने को
                                                                                   -देशांक #love