मैं बादल हूँ तुम पागल हो, मैं सागर हूँ तुम हो सरिता मैं प्रीत प्रिये तुम प्रतिमा हो, मैं शब्द सार तुम हो कविता मैं अंजन हूँ तुम अश्रु धार, मैं साम्य तुम्हारा तुम समता मैं वेद प्रिये तुम वेद निष्ठ, मैं पुरुषोत्तम तुम हो सीता मैं लव तुम मुझ में लीन, और मैं प्राण तुम्हारा तुम जीवन मैं द्रव तुम मुझ में झीन, और मैं प्रणय तुम्हारा तुम प्रणवन मैं तम सा तुम में तारतम्य, मैं पुष्प धवल तुम हो पराग मैं हिम आलय तुम दिव्य शिखर, मैं हूँ संगम तुम हो प्रयाग #alokstates #कविता #हमसफ़र #प्रेमगीत